ऐसा आजाद भारत, जो पुरूषों को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाने की आजादी नहीं देता
17 नवम्बर 2024: देश आजाद हुआ, इस सोच के साथ कि, हमे बोलने की आजादी होगी, अपनी बात रखने की आजादी होगी, सरकार की नीतियो के पक्ष विपक्ष में बोलने की आजादी होगी।
मगर आज 78 साल बाद भी , देश अंग्रेजो से सालों लड़ने के बाद मिली आजादी के बाद भी गुलाम है।
पहले हिंदुस्तान अंग्रेजों का गुलाम था , आज #Feminist अर्थात् विदेशी महिलावदी सोच का गुलाम है।
78 साल पहले अंग्रेजों ने धर्म के आधार पर बाटकर देश पर राज किया और आज सरकारें देश को महिला पुरूषों की राजनीति में बाट कर अपना उल्लू सीधा करने में लगी है।
सरकारों को केवल महिला वोट बैंक ही नजर आता है। दुख इस चीज का है, महिलाओं को खुश करने के लिए सरकारों ने पुरुषों के मौलिक अधिकारों तक का गला घोंटना चालू कर दिया।
देश आजाद है मगर पुरुष अपनी आवाज तक नहीं उठा सकता , उसे बोलने की आजादी नहीं , उसे विरोध करने की आजादी नहीं यहां तक उसे खुश रहने का भी अधिकार नहीं।
मेन वेलफेयर ट्रस्ट के सहयोगियों ने बड़ी मेहनत से पाई पाई जोड़कर वेदांता मैराथन में भाग लिया, जहां #BNS69 की खामियों से जनता को जागरूक करने का प्रयास किया। जिसे #DelhiPolice ने अंग्रेजी शासक के समान , लाखों रुपए भरने के बावजूद मैराथन में रोक की उन्हें अपनी रेस भी पूरी नहीं करने दी।
पुलिस का काम शान्ति, उपद्धव को रोकने का है, मगर इन्होंने अपने दायित्व से आगे बढ़कर पुरूषों की आवाज का ही गला घोंटना चालू कर दिया। शांति पूर्वक पैसे खर्च करके वेदांता मैराथन के न्योते पर आए सभी मेन वेलफेयर ट्रस्ट के सहयोगियों की आवाज को दबा दिया।
क्या सरकार बता सकती है, क्या ये विष्व का सबसे बड़ा लोक तंत्र है ? जहां शांति पूर्वक पुरुष जागरुकता भी नहीं फैला सकता ।
वही दूसरी तरफ विश्व में 19 नवंबर को हर्ष और उल्लास से मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस। जोकि समाज में पुरूषों के योगदान को प्रोत्साहित करने के लिए बनाया जाता है।
मेन वेलफेयर ट्रस्ट ने लगभग 72 से ज्यादा मोटर साइकल दलों के साथ मिलकर नई दिल्ली की सड़कों पर एक बाइक राइड निकालने की योजना मनाई ।
गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाली दिल्ली पुलिस ने हमेशा के समान, पुरूषों को अपने दिन अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस का जश्न मनाने से भी रोक दिया।
दिल्ली पुलिस की देखरेख महिला दिवस पर 2500 से ज्यादा महिला बाइक सवारों की बाइक रैली निकाली जाती रही है।
मगर लोकतंत्र की हत्या करते हुए, संविधान के अनुच्छेद 14 & 15 का खून करते हुए। दिल्ली पुलिस ने एक बार फिर पुरूषों के उनके अधिकारो को छीन लिया। उन्हें खुश होन अपने दिन का जश्न मनाने से भी रोक दिया ।
85000 पुलिस कर्मियों की फौज दिल्ली पुलिस ने अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस बाइक राइड को ये बोलकर रोक दिया कि उनसे 150 से 200 बाइक राइडर्स नहीं संभाले जा सकते, जो रविवार को सुबह निकलने वाले थे। इससे ज्यादा दुखद क्या होगा।
ये अपने आप में काफी है, कैसे देश का #HappyIndex धरातल पर गिरा जा रहा है। देश में महिलाओं की तुलना में पुरुष महिलाओं से तीन गुना ज्यादा आत्महत्या कर रहे है।
आज कलम रुक जरूर रही है मगर देश का पुरुष और हम कभी रुकने वाले नहीं ......✍️
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हमे डर आतंकवादी, तालिबान किसी से नही लगता सिर्फ डर लगता है तो इस #LegalExtortion #LegalTerrorism से लगता है। अगर सरकार हमारी रक्षा नहीं कर सकतीं । हमे इस महिला आतंकवाद से नही बचा सकती तो हम किस मुंह से कहे हमे अपने देश पर गर्व है ?
#StopAbuseMen a movement intends to work for Men's welfare and strongly believe in replacing the word Men/Women by Person and Husband/Wife by Spouse in any Government law or policy. #MenToo are Human, they also have Constitutional Right to Live & Liberty with Dignity (#Article21 ) . #Unfairlaw or Policy can not bring Fairness in any Society, it only kills fairness in Justice System and harmony in Society. #SpeakUpMan. Help Line for abused/distressed Men ( SIF - One): +91-8882498498.
Very well drafted shameful acts of authorities
ReplyDeleteVery true., Priyash bhai. Inka time aayega jaldi he.
ReplyDeleteIndia needs Men's Commission soonest. Happy Men's day.
ReplyDeleteWe want mens commission
ReplyDeletePriyash ji aap ka bahut bahut dhanyawad
ReplyDeleteVery well elaborated
ReplyDeleteShame on delhi police
Mens commission is the need of a hour
If govt doesn't allow peaceful procession then it will turn violent
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