One of the Best tool to win #FakeCases #MatrimonialFakeCases , CrPC 340 / BNSS 379
Perjury हिंदी में बोले तो " झूठे साक्ष्य " मगर इसका दायरा काफी बडा है। उम्मीद है, मै इस ब्लॉग के माध्यम से आपकी सहायता कर पाऊंगा ।
हमारे देश में झूठे साक्ष्यों पर मुकदमे खड़ा करना बहुत आम बात है । यही एक मूलभूत कारण है, कि देश में आज लंबित मुकदमों की संख्या 15 अप्रैल 2021 को लगभग 4.4 करोड़ आकी गई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 19% ज्यादा है। यह असली पीड़ितों को न्याय दिलाने में सबसे बड़ा अवरोधक है। ये देखने में आया है, न्यायालय द्वारा Perjury के मुकदमो को सालो खींचा जाता है जिसके चलते, अपराधीक महिलाएं न्यायालय में झूठ बोलकर, कानून के साथ खिलावड़ करती रहती है और बेख़ौफ़ बोलती है। ये सच है न्याय के लिए कलम उठानी पड़ेगी और न्याय मिलकर रहेगा। झूठे साक्ष्य बड़े से बड़ी ताकत को सलाखों के पीछे भेज सकती है, सिर्फ जज्बा चाहिए न्याय सचाई के लिए लड़ने का।
- कुछ मुकदमों में जहां कोर्ट शुरुआती दिनों में ( Interim Maintenance ) अंतरिम जमा-खर्च बांध देती है। ऐसे में अगर आपके पास काग़ज़ी सबूत पूरे है, तो यह सही वक्त होता है, जब आप CrPC 340 का आवेदन लगाए। अगर हमारे पास सबूत कागजी रूप में नहीं है तो, आपको यह जानकारी पूरी अर्जित करनी होगी कि वह कहां काम करती है । तो इसके लिए RTI एक्ट की सहायता लेे सकते है । ( भिन्न प्रकार के RTI उदाहरण के लिए http://neerajjuneja202.blogspot.com/ से प्राप्त कर सकते है )। याचिकाकर्ता के ( Employer ) नियोक्ता को Application u/s indian evidence act section 91 के आवेदन के द्वारा कोर्ट में भी बुलाया जा सकता है और उनकी गवाही करा सकते है। अगर हो सके तो साक्ष्य के तौर पर विपक्षी की काम करते हुए वीडियो या फोटो भी 65B प्रमाणपत्र के साथ आवेदन अवश्य लगाए व साथ ही साथ मूल उपकरण्ड संरक्षित भी अवश्य करलेवे। ऐसी परिस्थिति में आप 127 अनुभाग के अंतर्गत आवेदन लगाकर, परिस्थिति में बदलाव की सूचना कोर्ट को अवश्य दें। परिस्थिति में बदलाव ( Change in Circumstances ) यह एक महत्वपूर्ण कड़ी है। यह कड़ी अगर सही समय व समझदारी व् साक्ष्य के साथ लगाई जाए तो पूरा खेल बदल देती है।
- ऐसा कई बार देखा गया है , विपक्षी अपने खर्चे ज्यादा दिखाने के लिए । झूठे साक्ष्य का उपयोग करते है ( झूठा किराएनामा ), ऐसे में आप साक्ष्य इकट्ठे करने के लिए म्युनिसिपल , पुलिस विभाग इत्यादि पर RTI , Application u/s indian evidence act section 91 का उपयोग कर सकते हैं।
- ऐसा कई बार देखा गया है , विपक्षी अपनी आमदनी छिपाने के लिए । अपनी आय के स्रोत्र ( बैंक अकाउंट, FD , Mutual Fund , LIC इत्यादि ) की जानकारी छुपा लेती है , ऐसे में आप साक्ष्य इकट्ठे करने के लिए EPF / IT विभाग / बैंक इत्यादि पर RTI , Application u/s indian evidence act section 91 का उपयोग कर सकते हैं।
- इसी प्रकार घरेलू हिंसा अधिनियम कानून की धारा 12 ( Domestic Violence , 2005 Section 12 ) जोकि सबसे ज्यादा दुरुपयोग करने वाले कानूनों में से एक है । जिसमें मुख्यतः अनेकों दूर के रिश्तेदारों को फंसा दिया जाता है । जो कभी याचिकाकर्ता के साथ उस घर में कभी रहे भी नहीं होते है । यहां पर भी CrPC 340 का बखूबी उपयोग किया जा सकता है । उदाहरण के तौर पर मान लीजिए महिला ने आरोप लगाया कि आप ने फलाना तारीख को उसके साथ मार पीट करी । जबकि आप उस समय अपने दफ्तर में थे या कही दूसरे शहर में थे । ऐसे में आप साक्ष्य इकट्ठे करने के लिए RTI , Application u/s indian evidence act section 91 का उपयोग करे और सही समय पर आवेदन लगाए ।
- उदहारण के तौर पर मान लीजिए आप गाडी से दूसरे शहर गए हुए थे और रस्ते में टोल नाका पर आपने टोल भी दिया था , तो ऐसे में आप NHAI पर RTI लगाकर आप साक्ष्य इकठे करके सही समय पर आवेदन लगाए ।
- एक बहुत महत्वपूर्ण बात ध्यान देने वाली है , अगर विपक्षी कोई वक्तव्य न्यायालय के समक्ष बोलती है और आपको लगता है आप के केस में यह वक्तव्य अहम भूमिका निभा सकता है , तो इसे अवश्य जज साहब से आग्रह करके न्यायालय की उसीदिन के आदेश पत्र में दर्ज करवा ले । उदाहरण के तौर पर जमा खर्च मुकदमे में महिला ने खुद न्यायालय के समक्ष माना की वह फलाना जगह काम करती है व xxxxx कमाती है । ऐसे में आपको न्यायालय से आग्रह करना है कि इस बात को आदेश पत्र में डाल दिया जाए । यह आपके लिए उचित समय होगा , इस आदेश पत्र की सर्टिफाइड कॉपी के साथ आप CrPC 340 का आवेदन लगा सकते है।
- महिलाएं न्यायलय से ये बोलकर बचने की कोशिश करती है, ऐसा उन्होंने बगैर जानकारी या उनके वकील ने उनकी सहमति के बगैर ऐसा लिख दिया है। ऐसे में आवेदन में ये जरूर अंकित करे कि वह कितनी पढ़ी लिखी है , मोबाइल लैपटॉप सब चलाना जानती है और वह सबकुछ समझने में सक्षम है। अगर गवाही होनी है, तो उसमे ये सारे प्रश्न पहले पूछ ले उसके बाद आवेदन डाले । उदहारण के तौर पर , क्या आप ने मुकदमा सारा पढ़ा था , उसमे कही सब बाते आप जानती है ?
यह भी कहा जाना गलत नहीं होगा कि , CrPC 340 आवेदन करके निष्कर्ष तक पहुंचना बहुत जटिल प्रक्रिया है । ज्यादातर कोर्ट प्रक्रिया से बचना चाहती है । मगर फिर भी हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए । कोर्ट से CrPC 340 के आवेदन पर कार्यवाही के लिए लिखित आग्रह करते रहना चाहिए । CrPC 340 आवेदन को पहले सुनने का आग्रह , आप लिखित आवेदन में भी न्यायालय से कर सकते है , जिसके साथ Citation अवश्य लगाए ।
भारतीय कानूनी प्रणाली में, आप उच्च न्यायालय में अनुच्छेद 226 के तहत और सर्वोच्च न्यायालय में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत किसी भी समय एक रिट याचिका दायर कर सकते हैं । आप मामले के आधार पर उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में एक आपराधिक या सिविल रिट याचिका भी दायर कर सकते हैं । यदि उच्च न्यायालय उचित निर्णय नहीं देता है , तो आप सर्वोच्च न्यायालय में रिट की याचिका प्रस्तुत कर सकते हैं।
निम्लिखित उच्च व सर्वोच्च न्यायालय द्वार दिए महत्वपूर्ण जजमेंट में न्यायालय ने कड़े शब्दों के साथ कोर्ट में झूठ बोलने , झूठे आवेदन , झूठे साक्ष्य प्रस्तुत करने वालो पर न्यायिक कार्यवाही करने का आदेश दिए व इन आदेशों के अनुसार न्यायालय ने यह भी वर्णन किया कि सम्बंधित न्यायालय में चल रही मुक़दमे की प्रक्रिया को बीच में रोक कर , पहले CrPC 340 को सुना जाए व इस आवेदन को 2 महीने में तय करना होगा ।
Application Under 340Crpc should be decided first & With sense of urgency within 2 Months
- Chandra Shashi vs Anil Kumar Verma on 14 November, 1994 , SSC
- Syed Nazim Husain vs The additional principal Judge Family court & another writ Petition No. ( M/S ) of 2002 ( Allahbad HC )
- Iqbal Singh Marwah & Anr vs Meenakshi Marwah & Anr on 11 March, 2005 Appeal (crl.) 402 of 2005
- Electra Menezes vs The State Of Maharashtra And Ors on 17 January, 2019 ( Bombay HC )
- Shri Surendra Vishwanath Mishra VS. The Sate OF Maharashtra 18 february 2019 ( Bombay HC )
Compilation of the case law on the point that the Accused / Respondent / Defendant cannot participate in the enquiry under section 340Crpc
- Union Of India And Ors vs Haresh Virumal Milani on 17 April, 2017( Bombay HC )
- Pritish vs State Of Maharashtra & Ors on 21 November, 2001 SSC
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- Kenneth Desa so Late John Desa & others Vs Gopal so Leeladhar Narang 11july2007
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- Premdeep matlane Vs Bhavana matlane Criminal Writ petition 210 of 2019 Bombay hight court ( Nagpur)
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- Chandra Shashi v. Anil Kumar Verma Dated 14 Nov 1994 Equivalent citations: 1995 SCC (1) 421, JT 1994 (7) 459
सब पीड़ित पुरुषों के लिए उदाहरण के लिए #CrPC340 का आवेदन नीचे दिए हुए लिंक से प्राप्त कर सकते हैं । हिम्मत ना हारे हमेशा , अन्याय #FakeCases करने वाली महिलाओं से कानूनी तरीके , दिमाग से लड़े , जीत अवश्य होगी । धन्यवाद
https://howtofight498a.blogspot.com/2020/05/340-crpc-application-format.html
https://swarup1972.blogspot.com/
#StopAbuseMen a movement intends to work for Men's welfare and strongly believe in replacing the word Men/Women by Person and Husband/Wife by Spouse in any Government law or policy. #MenToo are Human, they also have Constitutional Right to Live & Liberty with Dignity (#Article21 ) . #Unfairlaw or Policy can not bring Fairness in any Society, it only kills fairness in Justice System and harmony in Society. #SpeakUpMan. Help Line for abused/distressed Men ( SIF - One): +91-8882498498.
It is a good blog. Thanks for putting it out there for the help of fighters.
ReplyDeletePradeep matlane Vs Bhavna matlane Cri writ petition 210/2019 Bombay hight court Nagpur latest judgment for perjury
ReplyDeleteVery useful Blog..
ReplyDelete340 jaisi jatil cheez ko aapne step wise aasaan bhaachaa main likh kar 340 ke gunjalon ko aasaan banana diya hai.340 aapka forte shuru se rahaa hai aur aap khud issko padh kar issko aur sunder banaayen.jitni prashansaa kee jaye utni kum hai.
ReplyDeleteThanks a lot for the guidance.
ReplyDeleteVery very helpful
great work bro
ReplyDeletebro there is a judgement of syed nazim husain vs the add principal judge family court & another {hc allahabad} {lucknow writ petition no m/s of 2002} that perjury crpc 340 should be disposed first and then the trial of case should go ahead please add in your article
ReplyDeleteknowledgeable and helpful for Indian Human
ReplyDeletePriyansh ji, aapka blog bahut achha hai. Comprehensive hai.ise padhkar mera atma-vishwash badh gaya. Alag alag vishyon par aise hi blog likhte rahiye. God bless you.
ReplyDeletePriyansh ji,
ReplyDeletehi, myself Anant Shanker from Kanpur Uttar Pradesh. Today on internet i was searching Perjury cases reportable judgements, randomly i visited you precious blog which is in Hindi language and have more Comprehensive for the people. Carry on in the interest of justice for people. When u get free, if u feel, contact me r.anant360@gmail.com
Regards.
Priyash Bhai
ReplyDeleteBahut helpful blog hai ye
Bahut se bhaiyo ki life ko khoobsurat bana sakta hai
Keep it up pls
Sir bahut hi achhi kanuni ray hai isme apko dil se shukriya
ReplyDeleteIt is very important Blog
ReplyDeleteGreat article in simple language
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