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Demand for Impeachment against Justice Chanderchud got viral on social media with hashtag #ImpeachmentAgainstChandrachud

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  जब टवीटर पर आगामी #CJI के खिलाफ़ #ImpeachmentAgainstChandrachud ट्रेंड करने लगा 2 अक्टूबर 2022, जिस दिन को विश्व गांधी जयंती के रुप में मनाता आया है। उस दिन एका एक #ImpeachmentAgainstChandrachud व #Chandrachud  टवीटर पर ट्रेंड करने लगा । हजारों लाखों लोगो ने भारत के आगामी मुख्य न्यायधीश श्री धनञ्जय यशवंत चंद्रचूड़ के खिलाफ़ महाभियोग की मांग को पुरजोर टवीटर पर उठाया । ग़ौरतलब है, आप हार्वर्ड विश्वविद्यालय से एल ० एल ० एम ० की उपाधि व जुडीशियल साइंस में डॉक्टरेट प्राप्त है और 9 नवंबर 2022 से न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित के उत्थान के बाद 10 नवंबर 2024 को अपनी सेवानिवृत्ति तक भारत के मुख्य न्यायाधीश बनेंंगे । करोड़ों लोगो की नाराज़गी का कारण था 2018 में सेक्शन 497 के कानून को रद किया जाना । 2018 में जब उच्च न्यायलय के समक्ष पत्नी को दूसरे पुरुष के साथ सम्बन्ध बनाने , के जुर्म में सजा दिलाने के लिए याचिकाकर्ता पति पंहुचा।  न्यायलय ने पत्नी को सजा देने की बजाए धारा 497 को ही खारिज कर दिया। इससे पता चलता है, हिन्दुस्तान की न्यायलय किस प्रकार से महिलाओ को सजा देने से बचत...

Regular Bail Application Format

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 Regular Bail Application Format  ज्यादातर मामलों में अनीश कुमार की जजमेंट के बाद से 498A दहेज प्रताड़ना के मुकदमों में गिरफ्तारी होना ना के बराबर हो गया है । पुलिस अपनी कानूनी कार्रवाई पूरी करने के बाद चार्जशीट कोर्ट में पेश करती है। जिसके बाद आरोपियों को जमानत लेनी पड़ती है । यह आवेदन जमानत फॉर्म के साथ लगाई जाती है । इस दौरान कोई बहस या कोई दलीलें नही रखी जाती है । यहा तक कि कई लोग खुद ये प्रक्रिया बगैर वकील के भी खुद पूरी कर लेते है । डरे नही , इस कानूनी अतंकवाद के खिलाफ़ लड़े।

CrPC 239 Discharge Application format for 498A/406 and various sections

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 CrPC 239 Discharge Application format for 498A and various sections  यह बहुत बार सवाल उठा करते है क्या 239 डिस्चार्ज की एप्लीकेशन हमें लगानी चाहिए या नहीं ? मेरे अनुभव से ऐसे बहुत से मुकदमे है, जहां ज्यादातर लोगों को सफलता नहीं मिलती है या मिलती भी हैं तो कुछ सगे संबंधियों के नाम हटा दिए जाते हैं या फिर 406 के आरोपों से मुक्त कर दिया जाता है। मगर कई तारीखों के बाद भी  ट्रायल तब भी झेलना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर कई साल इस एप्लीकेशन को निर्णय तक आने में लग जाते हैं , याने कई बहुमूल्य वर्ष खराब हो जाते हैं। जबकि बगैर इसके इतनी अवधि में मुकदमे बहुत आगे तक पहुंच सकते हैं इसलिए हमें ऐसी एप्लीकेशन लगाने से पहले अपने ग्राउंड को अच्छे से अपने सलाहकार से समझ लेना चाहिए या जजमेंट को पढ़ लेना चाहिए कि किस प्रकार लोगो को सफलता मिली । सबसे जरूरत बात और यह एप्लीकेशन में कोई भी नए सबूत बाहर से नहीं लाए जा सकते। केवल और केवल आरोप पत्र तक ही सीमित रहा जा सकता है । जिसके कारण आरोपमुक्त होना कठिन होता है। मेरा यह ब्लॉग सामान्य तरीके से बनाया गया है , इसमें ज्यादातर तरीके के मुकदमों को ध्यान ...