#SupremeCourtofIndia ने संविधान से लेकर संसद तक को हाईजैक कर लिया है
सुप्रीम कोर्ट देश का एक सर्वोच्च न्यायालय है । जिसका दायित्व देश के हर एक नागरिक को न्याय दिलाना है। उनका दायित्व यह भी है कि किसी के साथ भेदभाव अन्याय ना हो।
मगर आपको जानकर आश्चर्य होगा सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया आज खुद कटघरे में खड़ा है। वह खुद आज संविधान, संसद सब को हाईजैक करने पर उतारू है।
भारतीय संविधान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के पास कोई भी कानून बनाने का अधिकार नहीं है, संविधान के अनुसार यह अधिकार केवल संसद को दिया गया है । सुप्रीम कोर्ट केवल किसी कानून को रद्द करने का अधिकार रखता है या फिर संसद को किसी कानून को बनाने की सिफारिश कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया शुरू से विवादों में रहा है। यहां तक की कानून मंत्री श्री किरण रज्जू द्वारा भी सुप्रीम कोर्ट पर उनकी कॉलेजियम को लेकर सवाल उठाए गए हैं। उन्होंने एक वीडियो भी अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से साझा करी थी । जिसमे सेवानिवृत दिल्ली हाई कोर्ट न्यायाधीश श्री आर एस सोंधी ने बड़े ही सरल शब्द में बताया कि सुप्रीम कोर्ट कभी भी सांसद से बड़ी नही हो सकती , ना ही उनके पास कोई कानून बनाने के अधिकार है । उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट तानाशाह हो सकती है, मगर सांसद नही हो सकती क्योंकि उसे जनता चुनकर भेजती है ।
जब कि सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम अपनी पसिंदा , भाई भतीजावाद से ग्रसित है। वह अपने अनुसार अपने न्यायधीश को उच्च पदों पर बिठाती आई है ।
एक लम्बे समय से यह देखने को भी मिलता है , सुप्रीम कोर्ट महिलावादी सोच अर्थात #Feminist के पूर्ण रूप से कब्जे में आ गई है । इनकी कॉलेजियम ऐसे किसी न्यायधीश को ऊपर तक आने नही देती तो, जो इनकी मानसिक्त के विपरीत चलती या चलते है । हाल ही में एक मुंबई की न्यायाधीश थी, जिन्होंने महिलावादी सोच के विपरीत एक पुरुष के पक्ष में फैसला सुना दिया था। जिसके फल स्वरूप उनका प्रमोशन तक रोक दिया गया । इससे पता चलता है, देश की सर्वोच्च न्यायालय भी तानाशाह की तरह काम करती है और अपनी स्वामिता बनाए रखने के लिए उनकी सोच के विपरीत उठने वाली हर आवाज को रौंद देती है । जिससे दुबारा कोई ऐसी हिम्मत ना कर सके । यहा तक की सर्वोच्च न्यायालय लगभग हर कानून को अपने हिसाब से तोड़ मरोड़ थी रहती है । कभी महिलाओ को 8 महीने तक के ब्रुंड हत्या का आदेश सुना देती है तो कभी व्यभिचार जैसे कानूनों को रद्द कर देती है। जो केवल समाज को बरबाद करने का काम करती है।
यहां तक की शीर्ष पर विराजमान, सर्वोच्च न्यायालय के चीफ़ जस्टिस श्रीमान डी वाय चंदरचूड़ भी एक #Feminist है और वह खुद इस का समर्थन करते आए है । यहां तक कि उन्होंने संविधान को एक feminist दस्तावेज तक कह डाला। जो सही मायने में 100 फीसदी सच है । 49 लिंग भेदी एक तरफा कानून केवल महिलाओ के लिए है , पुरूषो के लिए एक भी नही ।
सर्वोच्च न्यायालय की #Feminist कॉलेजियम ने अपनी प्रभुता बनाए रखने के लिए , अब तक का सबसे बड़ा वार किया वोह है #MaritalRapePIL । दिल्ली उच्च न्यायालय की दो जजों की बेंच ने #MaritalRapePIL पर एक split जजमेंट दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने बजाय निचली अदालत की तीन न्यायधीश की पीठ को मामला भेजने की बजाय। यह मामला अपने हाथ में ले लिया । यहां तक की सुनवाई जो फरवरी 2023 में होनी तय थी उसे एकाएक जनवरी 2023 में रख दिया । इससे पता चलता है उन्हे कितनी जल्दी है।
सर्वोच्च न्यायालय की इस पीठ में ऐसे दो न्यायाधीश भी है । जिन्होंने #MaritalRapePIL का मामला विचाराधीन होते हुए भी , दूसरे मामलों में मैरिटल रेप को अंकित तक कर डाला। जिससे यह पता चलता चलता है की सर्वोच्च न्यायालय कितनी हड़बड़ी में है। अफसोस इस कॉलेजियम पर प्रश्न उठाने का साहस शायद ही कोई कर पाएं।
असल में यह मामला इसलिए भी बहुत गंभीर है क्योंकि इस बार सर्वोच्च न्यायालय ने जानबूझकर संसद के कानून बनाने के अधिकार को हाईजैक कर डाला है । सर्वोच्च न्यायालय जानती है वह यह कानून नहीं बना सकती मगर फिर भी सविधान को नजरअंदाज कर उन्होंने कानून खुद बनाने की पहल कर डाली है। एक तरह यह कहना गलत नही होगा की यह सर्वोच्च न्यायालय का तानाशाह रवैया है । कॉलेजियम #Feminism के नशे में संविधान तक को दर किनार कर रहे है।
अब यह वक्त आ गया है ऐसी कॉलेजियम को भंग किया जाना चाहिए। जिससे निचली अदालते निर्पक्ष होकर न्याय कर सके । हमेशा उनके डर के साय में ना रहे और फेमिनिस्ट मानसिकता वाले न्यायधीश को हटाया जाना चाहिए क्योंकि वह कभी निरपक्ष होकर न्याय नही कर सकते।
#StopAbuseMen a movement intends to work for Men's welfare and strongly believe in replacing the word Men/Women by Person and Husband/Wife by Spouse in any Government law or policy. #MenToo are Human, they also have Constitutional Right to Live & Liberty with Dignity (#Article21 ) . #Unfairlaw or Policy can not bring Fairness in any Society, it only kills fairness in Justice System and harmony in Society. #SpeakUpMan. Help Line for abused/distressed Men ( SIF - One): +91-8882498498.
May god give them senses to save men in this country.
ReplyDeleteYeh to vanshvaad ki pratha hai
ReplyDeleteRaja ka pasta grandson raja banega
All ready itne sare kanoon hai mahilao k liye jinka khoob missuse ho rha hai. Aisi kya dushmani hai pursho se.. Purush kha jaae jab unko bhi patni or uske pariwar dwara pdatadit kiya jata hai
ReplyDeleteYah sach hai mahila dvara har ek kanoon ka missuse kiya gaya hai.. zute case karke mahila ne anek pursho ko barbad kar chuki hai, yah court ne bhi mana hai..martial rape yah kanoon bana ke desh ke pursho ko barbad kar dega..ise proof karna itana essy nahi hai hai, pls stop martial rape law...
ReplyDeleteभारतीय कानून व्यवस्था की इतनी बुरी हालत हो चुकी ह, पुरुष आत्महत्या कर रहे ह झूठे मुकदमों की वजह से। लेकिन कानून व्यवस्था को और सरकार को मर्द का दर्द दिखता ही नहीं ह। एकजुट हो जाओ भाइयों नही तो कल ये सब हमारे बच्चों को भी झेलना पड़ेगा। 🙏
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