#MarriageStrike Vs #MaritalRape
#MarriageStrike Vs #MaritalRape
हाल ही में सोशल मीडिया पर ‘मैरिज स्ट्राइक’ याने शादी की हड़ताल हैशटैग ट्रेंड करता हुआ दिखा। टवीटर पर हजारों में ट्वीट्स किए गए थे। विश्वव्यापी लोकप्रियता व् चर्चा का विषय बना गया। मैरिटल रेप जैसे कानूनों से उत्पन्न रोश विरोध ट्विटर पर साफ दिखाई देने लगा था। हर पुरूष एक स्वर में आवाज बुलंद करते दिखाई दे रहे थे कि अगर वैवाहिक बलात्कार जैसे कानून लाए तो हमारी मजबूरी होगी #MarriageStrike ।
आखिर वैवाहिक बलात्कार का विरोध क्यों ?
पुरुष दषकों से दहेज प्रताड़ना, घरेलु हिँसा व फर्जी यौन शौषण के मुकदमे झेल रहे हैं । ज्यादातर मुकदमों में पुलिस औपचारिक खानापूर्ति करते हुए बगैर जॉच के आरोप पत्र दाखिल कर देती हैं । जिस के चलते सालों पुरुष व उनके परिवारवालो को इस एक तरफ़ा कानूनी जंग में झोंक दिया जाता है। इस आतंकवाद में पुरुष के स्वर्णिम साल व उनका भविष्य तबाह हो जाता है। वकीलों व पुलिस के हाथों उनके घर तक बिक जाते है। ऐसे में एक और एक तरफा कानून केवल और केवल पुरुषो की जिंदगियो को खतरे में डालेगा ।
हिंदुस्तानी सभ्यता में लिव इन या गर्ल बॉय फ्रेंड जैसे रिश्तों का कोई स्थान नहीं रहा है, यहां शादी को एक पवित्र रिश्ते के समान माना जाता है। यहां शादियों में फेरों के साथ कसमें वादे की रीत सदियों पुरानी चली आ रहीं है। एक तरह से विवाह एक कॉन्ट्रैक्ट के समान है, जिसके गवाह साक्षी दोनों पक्ष के रिश्तेदार व अन्य मेहमान होते हैं। यह अनुबंधित है की पुरुष महिला अपनी शारीरिक यौन इच्छाओं की पूर्ति व् अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए संबंध बनाएंगे। ऐसे में अगर विवाहिता सम्बन्ध बनाने से मना करती है या कानूनी भाषा में कॉन्ट्रैक्ट को तोड़ती है तो उसे लिखिए रूप से अपने पति को सूचना दे, जिसके चलते कम से कम पति को समय तो मिले डायवोर्स डालने का । इसके बावजूद पुरुष के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी कोर्ट से डाइवोर्स लेना क्योंकि भारत में डाइवोर्स 5 से 10 से मिलता है । ऐसी स्थिति में पुरुष ना तो दूसरी महिला के साथ सम्बन्ध बना सकता है ना दूसरी शादी कर सकता है क्योकि ऐसा एक वैवाहिक पुरुष करता है तो विवाहिता उसे घरेलु हिंसा जमा खर्चे के मुकदमो में फसा सकती है जबकि वैवाहिक पुरुष ऐसा नहीं कर सकता क्योकि इस देश में सिर्फ एक तरफ़ा कानूनों का ही चलन है।
114ए. साक्ष्य अधिनियम- धारा 376 आईपीसी के तहत बलात्कार के लिए अभियोजन पक्ष में, जहां आरोपी द्वारा यौन संभोग साबित होता है और सवाल यह है कि क्या यह महिला की सहमति के बिना था और वह अदालत में कहती है कि उसने सहमति नहीं दी, अदालत मान लेगी कि उसने सहमति नहीं दी थी। इसी कथन के आधार पर पुरुष की जिंदगी का फैसला हो जायेगा। ऐसे में पति का कोई बचाव नहीं है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 कहता है कि
"भारतीय संविधान ने सभी नागरिकों को समानता का अधिकार प्रदान किया है। ... कानून के समक्ष समानता : अनुच्छेद 14 में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता के इलाज या भारत के क्षेत्र के भीतर कानूनों के समान संरक्षण से वंचित नहीं किया जाएगा"
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 कहता है कि
"(1) राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध के केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा"
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 कहता है कि
“किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है”
👉फिर एक और पक्षपाती कानून बनाकर , पुरुषो के साथ भेद भाव क्यों ? आखिर क्यों संविधान अनुच्छेद 14 , 15 और 21 का उलंघन किया जा रहा है ?
👉जब एमिकस क्यूरी ये मानते है #GenderNeutral बनाने का अधिकार केवल संसद के पास है, तो ऐसे में एक तरफ़ा कानून बनाने का अधिकार न्यायलय के पास कैसे आ गया ?
👉 आखिर क्यों एक एमिकस क्यूरी के होते हुए दुसरे एमिकस क्यूरी रेबेका जॉन की नयोक्ति करी, जो ख़ुद एक महिलावादी सोचा से प्रेरित है ?
👉आखिर जब भी पुरुषो के हित की बात आती है, तो न्यायाधीश खामोश क्यों हो जाते है ?
👉 सरकार घोषणा कर दे कि सविधान, पुलिस, कोर्ट सब केवल महिलाओं के लिए है। पुरुषो का नाम हटा दो सविधान से , आखिर दिखावा क्यों ?
👉 आखिर क्यों कानूनों के दुरुपयोगों के बारे में कोर्ट नहीं सोच सकती ?
👉 आखिर क्यों हमेशा पहले से ही पुरुषो को भोगी अपराधी बलात्कारी मान लिया जाता है , महिला को नहीं ?
👉 अगर पति सहभोग करना चाहता और पत्नी नहीं तो वैवाहिक बलात्कार और वही दूसरी तरफ पत्नी करना चाहें और पति मना करे, तो घरेलु हिंसा दहेज़ प्रातांडना। ये दोगुला पन भेद भाव क्यों ?
👉ऐसे कितने मामले है जहां पत्नि गुस्से , बदले या किसी भी छोटे घरेलू कारणों से अपराधिक मामले दर्ज करा देती है, ऐसे में जब पति और उनके परिवार की गिरफ्तारी होंगी। तो उनकी बदनामी और क्रिमिनल धारा के लगे दाग कैसे साफ होंगे ?
👉 अगर 150 देशो में वैवाहिक बलात्कार के लिए कानून है उनके यहाँ बने #GenderNeutralLaw के बारे में भी बात करो। वहाँ की बनी न्याययिक ढांचे के बारे में भी बात करो। जहाँ 10 साल मुक़दमे नहीं, कुछ पेशियों में निपट जाते है। जहाँ 182 , 340 CrPc जैसे कानूनों से लोग डरते है।
👉 क्या महिला सहभोग का आनंद नहीं लेती ? लेती है , तो वोह पति पर जबरदस्ती कैसे नहीं कर सकती है ?
ऐसे बहुत से प्रश्न है, जो पुरुषो के मन में कानून व् देश के प्रति हीन भावना को जन्म दे रहे है।
हर साल 108000 से ज्यादा पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं इनके और इनके परिवार वालों की भी सोचो, मत इनको मौत के मुँह में धकेलो
अगर नेता पुरुषो से इतनी नफरत करते है, उनके लिए कोई कानून , मंत्रालय , आयोग नहीं बना सकते तो पुरुष इनको वोट क्यों दे ?
#NoVote2MaleHaters #Nota4Men
Must listen to Mr Swaroop Sarkar
#hum male k sat wrong ho Raha he
ReplyDeleteMarital Rape law will make end institution of marriage
ReplyDeletemarital rape will end marriages in another 2 years.
ReplyDeleteTotally false law
ReplyDeleteVery correctly pointed out..
ReplyDeleteThis is true and to help full 🙏
ReplyDeleteTit For Tat
ReplyDeleteIt's the time to do tit for tat against feminist agenda for destroying india through fake women empowerment.
We must opt for #Marriage Strike in response to No means No.
Marital Rape ka kanoon nahi aana chahiye, ye bhi 498A ki tarah ek hathiyaar banega ladies ka ladkon se paise ainthne aur Asamajik karya bina darr karne ka.. Marital Rape ko roken lekin vyavastha se kitaabi kanoon se sirf aam aadmi ka shoshan hi hota aaya hai aur wo badhega is kaale kanoon se
ReplyDeleteTotally agree , we r men and we suffer in these biased law
ReplyDeleteThis law can destroy our family and social system. We strongly opposed this law.
ReplyDeleteWhen legislation doesn't lead the revolution, the revolution demolishes the legislation. Time seems to be ripe for men to protest against every MLA, MP, political party, NGO, government and any other government or non-government body that opposes the fundamental rights guaranteed to men. India is already male suicide capital of the world along with false case capital of the world.
ReplyDeleteAbhishek Gupta
ReplyDeleteMarital rape kanoon agar aaya toh puri family system ke liye ek shaap (curse) saabit hoga...we should oppose this law to save our society
Or kitne ektarfa mahilawadi kanoon banenge is desh me...😒
ReplyDeleteMarital rape just a weapon against Men. If not then why it's not gender neutral.
ReplyDeleteNo law for men's, mostly women misuse the law for own benefits . Court and police well knows but they support to Abla ka Tabla only
ReplyDeleteThe most ugly fact will be if this law is passed, then a man (father) will loose his value in child's heart and mind
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