Are you among, 93% child born out off #MaritalRape ?

 

क्या आप #MaritalRape से पैदा हुए 93% भारतीय  में  से एक हैं ?



ये स्वबाह्विक है ऐसे शीर्षक को पढ़कर सबके मन में विचित्र सोच या गुस्सा आरहा होगा। ये शीर्षक 17 जनवरी  2022 इंडिया टुडे में प्रकाशित एक लेख से प्रेरित है। 
फिलहाल ये आंकड़ा  या  ये  लेख  ये प्रश्न खड़े करता है ,  क्या इस देश के हर  नेता , राजगुरु , धर्मगुरु, जज , संत्री , मंत्री,  सब बलात्कारी या बलात्कारियों  की  पैदाइश है ?


इस लेख को पढ़कर लगता है, जैसे कि हिंदुस्तानी का हर पुरुष बलात्कारी है। हिंदुस्तान का 93 % पति, अपनी पत्नी का  वैवाहिक बलात्कार करता है। जिससे यह निष्कर्ष पर आया जा सकता हैं कि 10 में से 9 पैदा होने वाला बच्चा या बच्ची बलात्कार से जन्मा है ।

 शायद लेख लिखने वाला महिलावादी ये भूल गया, वोह खुद भी किसी ना किसी तरह इस शक के घेरे में आता है। असल में ये शोध और लेख लिखने वालो की मानसिकता को उजागर करता है, कि किस प्रकार वह देश के पुरुषो को बदनाम करने के लिए आमदा है । जिस देश में बलात्कार के मुकदमों से बरी होने वालों का आकड़ा 76% से ज्यादा हो , उस देश में ऐसे आंकड़ों पर यकीन करना ही अतिश्योक्ति होगी । ऐसी महिलावादी सोच की विचारधारा से जन्मे एक वीडियो, जो इस लेख के समान हर पुरुष को बलात्कारी घोषित करने में लगी है। 

सौजन्य  Mens Day Out 

!! तू बलात्कारी है  !!
हर एक पुरुष को ये शब्द झिंझोड़ देंगे। ये समझ के परे है आखिर किसलिए ऐसी वीडियो बनाकर  सभी पुरुषो को बलात्कारी बोलते है , उनकी आत्मा को झिंझोड़ते है । अपनी मर्जी के कानून बनाने के लिए ऐसी घटिया झूठे सर्वे लेख लिखते हो ? आखिर क्या हासिल होगा ऐसी नफरत फैला के? कभी इन शब्दों के झखम मेहसू करना  हो  तो अपने घर के पुरूष पिता ,भाई दोस्त को बलात्कारी बोलर देखो , फिर बताना उन्हें कहा चोट लगी। 

मेरी सिर्फ एक राय है महिलावादी सोचा के लिए #FeminismIsCancer जितना जल्दी हो अपने अन्दर से मार गिराओ वरना देश और हमारी सभ्यता सबको खो दोगे।


इस प्रकार के झूठे आकड़ो ,लेख , पुरषो को बलात्कारी बतलाने वाली वीडियोस की इंटरनेट पर बाढ़ से आई हुई है। यह वैवाहिक बलात्कार कानून को लाने के लिए महिलावादी लोगो का सोचा समझा षड्यंत है। इसी आकड़ो को हवाला देकर दिल्ली हाई कोर्ट में लम्बित वैवाहिक बलात्कार PIL को एकतरफा करने की कोशिश करी जा रही है ।  

 वैवाहिक बलात्कार को लेकर पुरुषों में ख़ासा असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है , जिसके चलते टवीटर पर #MarriageStrike #BoycottMarriage ट्रेंड कर रहे है। बहुत से यूवा अफ्रीका चीन की तरह शादी ना करने पर आमदा हो रहे है। वह बहुत से पुरुष भारत में #GenderBiasedLaws व् महिला के #LegalTerrorism  #LegalExtorsion  से हताश होकर देश को हमेशा के लिए अलविदा करने की बात कर रहे है। ऐसे झूठे तथ्यों पर आधारित लेख का नतीज़ा ही है कि समाज पुरुषो का पक्ष सुनना ही नहीं चाहता। आरोपियों को उनका पक्ष रखने देने से पहले पुलिस फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मार गिराती है या जनता सामूहिक हत्या कर देती है। मीडिया #DigitalLinching करके उनको बदनाम करके अदमरा कर देती है। 

इतनी पुरुषो के लिए नफरत मत फैलाओ कि, उनकी आत्मा भी महिलाओँ से दूर हो जाएं। अपने षड़यंत्र  के लिए महिला पुरुष के बीच में इतनी खाई मत खोदो, जिसे कभी भर ना सको। हर पुरुष बलात्कारी नहीं होता। 

" हर पुरुष राक्षस नहीं होता , हर महिला सीता नहीं  होती "

आखिर वैवाहिक बलात्कार  का विरोध क्यों ?

पुरुष दषकों से दहेज प्रताड़ना, घरेलु हिँसा व फर्जी यौन शौषण के मुकदमे झेल रहे हैं । ज्यादातर मुकदमों में पुलिस औपचारिक खानापूर्ति करते हुए बगैर जॉच के आरोप पत्र दाखिल कर देती हैं । जिस के चलते सालों पुरुष व उनके परिवारवालो को इस एक तरफ़ा कानूनी जंग में झोंक दिया जाता है। इस आतंकवाद में पुरुष के स्वर्णिम साल व उनका भविष्य तबाह हो जाता है। वकीलों व पुलिस के हाथों उनके घर तक बिक जाते है। ऐसे में एक और एक तरफा कानून केवल और केवल पुरुषो की जिंदगियो को खतरे में डालेगा ।

हिंदुस्तानी सभ्यता में लिव इन या गर्ल बॉय फ्रेंड जैसे रिश्तों का कोई स्थान नहीं रहा है, यहां शादी को एक पवित्र रिश्ते के समान माना जाता है। यहां शादियों में फेरों के साथ कसमें वादे की रीत सदियों पुरानी चली  आ रहीं है। एक तरह से विवाह एक कॉन्ट्रैक्ट के समान है, जिसके गवाह साक्षी दोनों पक्ष के रिश्तेदार व अन्य मेहमान होते हैं। यह अनुबंधित है की पुरुष महिला अपनी शारीरिक यौन इच्छाओं की पूर्ति व् अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए संबंध बनाएंगे। ऐसे में अगर विवाहिता सम्बन्ध बनाने से मना करती है या कानूनी भाषा में कॉन्ट्रैक्ट को तोड़ती है तो उसे लिखिए रूप से अपने पति को सूचना दे, जिसके चलते कम से कम पति को समय तो मिले डायवोर्स डालने का । इसके बावजूद पुरुष के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी कोर्ट से डाइवोर्स लेना क्योंकि भारत में  डाइवोर्स 5 से 10 से मिलता है । ऐसी स्थिति में पुरुष ना तो दूसरी महिला के साथ सम्बन्ध बना सकता है ना दूसरी शादी कर सकता है क्योकि ऐसा एक वैवाहिक पुरुष करता है तो विवाहिता उसे घरेलु हिंसा जमा खर्चे के मुकदमो में फसा सकती है जबकि वैवाहिक पुरुष ऐसा नहीं  कर सकता क्योकि इस देश में सिर्फ एक तरफ़ा कानूनों का ही चलन है। 

114ए. साक्ष्य अधिनियम- धारा 376 आईपीसी के तहत बलात्कार के लिए अभियोजन पक्ष में, जहां आरोपी द्वारा यौन संभोग साबित होता है और सवाल यह है कि क्या यह महिला की सहमति के बिना था और वह अदालत में कहती है कि उसने सहमति नहीं दी, अदालत मान लेगी कि उसने सहमति नहीं दी थी। इसी कथन के आधार पर पुरुष की जिंदगी का फैसला हो जायेगा।  ऐसे में पति का कोई बचाव नहीं है। 

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14  कहता है कि

    "भारतीय संविधान ने सभी नागरिकों को समानता का अधिकार प्रदान किया है। ... कानून के समक्ष समानता : अनुच्छेद 14 में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता के इलाज या भारत के क्षेत्र के भीतर कानूनों के समान संरक्षण से वंचित नहीं किया जाएगा"

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15  कहता है कि

    "(1) राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध के केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा"

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 कहता है कि

 “किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है” 

👉फिर एक और पक्षपाती  कानून बनाकर , पुरुषो के साथ भेद भाव क्यों ? आखिर क्यों  संविधान अनुच्छेद 14 , 15 और  21 का उलंघन किया जा रहा है ? 

👉जब एमिकस क्यूरी ये मानते है #GenderNeutral बनाने का अधिकार केवल संसद के पास है, तो ऐसे में एक तरफ़ा कानून बनाने का अधिकार न्यायलय के पास कैसे आ गया ? 

👉 आखिर क्यों एक एमिकस क्यूरी के होते हुए दुसरे एमिकस क्यूरी रेबेका जॉन की नयोक्ति करी,  जो ख़ुद एक महिलावादी सोचा से प्रेरित है ?

👉आखिर जब भी पुरुषो के हित की बात आती है, तो न्यायाधीश खामोश क्यों हो जाते है ?

 👉 सरकार घोषणा कर दे कि सविधान, पुलिस, कोर्ट सब  केवल महिलाओं के लिए है। पुरुषो का नाम हटा दो सविधान से , आखिर दिखावा क्यों ?

👉 आखिर क्यों कानूनों के दुरुपयोगों के बारे में कोर्ट नहीं सोच सकती ?

 👉 आखिर क्यों हमेशा पहले से ही पुरुषो को  भोगी अपराधी बलात्कारी मान लिया जाता है , महिला को नहीं ?

👉 अगर पति सहभोग करना चाहता और पत्नी नहीं तो वैवाहिक बलात्कार और वही दूसरी तरफ पत्नी करना चाहें और पति मना करे, तो घरेलु हिंसा दहेज़ प्रातांडना। ये दोगुला पन भेद भाव क्यों ?

👉ऐसे कितने मामले है जहां पत्नि गुस्से , बदले या किसी भी छोटे घरेलू कारणों से अपराधिक मामले दर्ज करा देती है, ऐसे में जब पति और उनके परिवार की गिरफ्तारी होंगी। तो उनकी बदनामी और क्रिमिनल धारा के लगे दाग  कैसे साफ होंगे ?

👉 अगर 150 देशो में वैवाहिक बलात्कार के लिए कानून है उनके यहाँ बने #GenderNeutralLaw के बारे में भी बात करो। वहाँ की बनी न्याययिक ढांचे के बारे में भी बात करो। जहाँ 10 साल मुक़दमे नहीं, कुछ पेशियों में निपट जाते है। जहाँ 182 , 340 CrPc जैसे कानूनों से लोग डरते है। 

👉 क्या महिला सहभोग का आनंद नहीं लेती ? लेती है , तो वोह पति पर जबरदस्ती कैसे नहीं कर सकती है ?

ऐसे बहुत से प्रश्न है, जो पुरुषो के मन में कानून व् देश के प्रति हीन भावना को जन्म दे रहे है। 

हर साल 108000 से ज्यादा पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं इनके और इनके परिवार वालों की भी सोचो,  मत इनको मौत के मुँह में धकेलो 


अगर नेता पुरुषो से इतनी नफरत करते है, उनके लिए कोई कानून , मंत्रालय , आयोग नहीं बना सकते तो पुरुष इनको वोट क्यों दे ? 

 #NoVote2MaleHaters  #Nota4Men 



                     #FeminismIsCancer 

#StopAbuseMen a movement intends to work for Men's welfare and strongly believe in replacing the word Men/Women by Person and Husband/Wife by Spouse in any Government law or policy. #MenToo are Human, they also have Constitutional Right to Live & Liberty with Dignity (#Article21 ) . #Unfairlaw or Policy can not bring Fairness in any Society, it only kills fairness in Justice System and harmony in Society. #SpeakUpMan. Help Line for abused/distressed Men ( SIF - One): +91-8882498498



Comments

  1. Sabhi pidito ko ek hokar awaz uthhani hogi galat kanoon k khilaf

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  2. Koi rape nhi hota ek pati hamesha apni patni or apne bachho ka khyal rakhta hai pr jab purush ki Khushi ki bat aati hai to uske upar jhuthe aarop lga kr use badnam kia jata hai . kha jata hai mard ko dard nhi hota. Hota hai jnaab bohot hota hai pr use koi mahsoos nhi krta. Servey mahila kanoono ke durupyog ka ku nhi kia jata . Ku uski mehnat ki kmai pr jhuthi mahilae essh krti hai. Kuki purush ko sirf ATM samajh lia gya hai. Agar purush ke pas paise kam ho ya na ho or ghar me patni ke pass jae to kya wo jabardasti ya rape kahlaya jaega ku ki usne usdin apni patni ki demand puri nui ki. To usidin wo relation rape ho jata hai . Jab pati ko hi rapist bna dia jaega to shaadi vivah ki kya jrurat.

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  3. Nice article highlighting the gaps and negligence towards men.

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