What is #Feminism ? How they spread Pandemic in the society like #CoronaVirus
What is #Feminism ? How they spread Pandemic in the society like #CoronaVirus
#FeminismIsCoronaVirus
क्या है #Feminism ?ये कुछ ऐसे लोग है , जो पुरुष या महिला भी हो सकते है । इनका मानना है कि महिलाओ को पुरुष के बराबर कानून , अधिकार व अवसर प्रदान होने चाहिए । इनका कहना है , #GenderEqaulity / लैंगिक समानता होनी चाहिए । बाकी इंटरनेट पर मिले तथ्यों से जानने को मिला #Feminism का मतलब महिलाओं के अधिकारो के लिए बात करने वाले ।
मगर #GenderEqaulity / लैंगिक समानता की बात करने वाले नारीवादी , केवल महिलाओं के अधिकारों के लिए बात करते हैं । यह कहना गलत नहीं होगा , इनके नाम के साथ ही #GenderBiased / लैंगिक भेदभाव छलकना चालू हो जाता है । जब आप #Feminist के विचारो को पढ़ना चालू होंगे तो , आप खुद भटक जाएंगे आखिर #Feminsm क्या है , उदाहरण के लिए :-
Smt. Renuka Chaudhary :- .” In another instance, she publicly urged women to trust condoms and not their husbands.
एका एक इन महिलावादी लोगो की सोच , कब पुरुष विरोधी हो गई किसी को अनुमान ही नहीं लगा । इनके वक्तव्य को सुनकर आप अनुमान लगा सकते हैं , इन्होने पुरुषों के प्रति घृणा भाव फ़ैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कोई पुरुषों को rejected Maal , potential rapist , ugliest species of the world , eye teaser , Trust condoms not men, need men for children etc . नारीवादी सोच अपने इस मंसूबों में बखूबी कामयाब रही , उन्होंने समाज में एक मानसिकता पैदा करदी कि केवल पुरुष ही भक्षक है और सारे अपराध पुरुष की करता है । महिलाएं कमजोर वर्ग है और वह कोई अपराध नहीं कर सकती ।
नारीवादी सोच ज्यादातर नेताओं के लिए बहुत बड़ा वोट बैंक बन गया और राजनीतिक दल अनेकों योजनाएं महिलाओं के लिए बनाकर , उसका बहुत बड़ा हिस्सा अपना और अपनी पार्टी के प्रचार में लगाते नजर आय । Quint 23 जनवरी 2019 में प्रकाशित खबर के अनुसार यह भी पता चला , सरकार विशिष्ट महिला कार्यक्रम के लिए आवंटित रुपयों का 56% प्रचार में खर्च कर देती है । बहुत से मंत्रियों से बात करने में यह साफ तौर पर पता चलता है वह पुरुषों पर हो रहे अत्याचारों के बारे में बात करना ही नहीं चाहते या डरते है कहीं उनकी छवि नारी विरोधी ना दर्शादी जाए ।
Corona के समान , ऐसी दहशत और डर बना दिया गया है कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति महिलाओं के विरुद्ध बोल ही नहीं सकता। अगर बोलने की चेष्ठा करता है तो तमाम मीडिया विपक्ष महिला Ngo बगैर सच्च जाने उसका पुरजोर विरोध करने लग जाते है ।
#Feminism जो महिलाओं के सम्मान के लिए बात करते थे , अब उन्होंने अपनी मांगे मनवाने व सरकारों पर दबाव बनाने के लिए , समाज के लिए घातक नग्न प्रदर्शन करने चालू कर दिए । The Guardian में छपे आर्टिकल के सामान , इंटरनेट पर ऐसे कई घातक नग्न प्रदर्शन पर प्रकाशित लेख आसानी से मिल जाते है ।
इससे पता लगने लगा आखिर किस प्रकार यह नारीवादी सोच समाज के लिए कितनी घातक है । यह हर एक समाज के लिए जहर है । खासतौर से हिंदुस्तानी सभ्यता के लिए जहां महिलाओं को देवी के समान पूजा जाता है व हिन्दुस्तानी परिधान शरीर को ढकने के लिए पहने जाते है नाकि अंग दर्शन के लिए । एकाएक जो नारीवादी सोच विदेशों से आई थी , उसने हिंदुस्तान में भी पूरे पांव पसारने चालू कर दिया । बॉलीवुड की एक अदाकारा ने भी अपने कपड़े उतार कर प्रदर्शन किया । https://womenintheworld.com/2018/04/09/actress-arrested-after-staging-topless-protest-against-casting-couch-culture-in-india/
नारीवादी सोच ने एक नया नारा निकाला " My body My choice " जिसके अंतर्गत उन्होंने महिलाओ की आजादी को नए नाम दिए , जो मन में आए वह कपड़े पहनने चाहे वोह समाज के विरूद्ध क्यों ना हो व गर्भ पात की आज़ादी इत्यादि ऐसे कई मुद्दों को जन्म दिया गया । जो सिर्फ समाज में एक #Corona के समान एक महामारी साबित हुए ।
फिर एक दौर चालू हुआ जिसमे महिलाओ को हर जगह आगे व प्रोत्साहित किया जाने लगा यह देश के लिए जरूरी भी था । मगर यहां पर भी #Feminism ने अपने जहर को कम नहीं किया । बल्कि एक #Corona महामारी के समान , केवल समाज की बुनियाद को हिलाने का काम किया । पश्चिमी संस्कृति की नकल करते हुए , हिंदुस्तानी महिलाओं ने भी उनके परिधानों को यहां पहनना चालू कर दिया । यह बोलना गलत नहीं होगा , हिंदुस्तानी सभ्यता का पतन होना चालू हो गया । एकाएक जिन हिन्दुस्तानी महिलाओ के लिए अपनी इज्जत अपनी आबरू , अपने शरीर को ढकने वाले परिधान , अपना शरीर सब कुछ हुआ करता था । अब #TikTok #Youtube #Facebook #Instagram पर महिलाए पैसे कमाने व लोकप्रियता हासिल करने के लिए अभद्र , नग्न प्रदर्शन करने लगी । ऐसा लगने लगा है जैसे होड़ लगी हो , एक महिला दूसरी महिला से कितना ज्यादा नग्न होकर लोकप्रियता हासिल कर सकती है । एक समय था जब जिस्म की नुमाईश को जिस्मफरोशी वेश्यवृति से जोड़ा जाता था । ऐसा लगता है जैसे इन विदेशी ताकतों ने #Feminism के हाथों हमारे देश की हिंदुस्तानी सभ्यता को तार-तार करने के लिए व इरादतन विदेशी परिधानों को देश में बेचने के लिए , इस नारीवादी रूपी महामारी को देश में फैलाया । जिसके चलते " My body My choice " के नारे के तहत देश में महिलाओं की मानसिकता को प्रदूषित करते हुए , अपने जिस्म की नुमाइश को एक नए पीढ़ी की नारी की पहचान बना दिया गया ।
दूसरी तरफ नारीवादी सोच का झंडा फहराने वाले नेताओं ने एक के बाद एक 45 + महिलाओ के हक में कानून बना दिए । यहां पर भी सोच केवल महिलाओ को शोषण व अत्याचारों से बचाने की थी । जिसका भी नारीवादी लोगों ने गलत फायदा उठाया , यहां पर भी जो लोग बात #GenderEquality की करते थे । जिन्होंने शुरूवात ही इसी नारे के साथ की थी । आज वोह लोग #GenderEquality को नजर अंदाज करने लगे । हर कानून #GenderBiased बनाए गए । यहाँ पर महिलाओ को पुरुषो के बराबर बताने वाले लोग , अब महिलाओं को कमजोर बताने लगे ।
अब महिलाओं द्वारा इन कानूनों का दुरुपयोग होना चालू हो गया। ऐसे बहुत से वाक्यात नजर आने लगे । जहाँ महिलाओं को गलत काम / कानून का उल्लंघन करने से रोका जाता तो वह पुलिस / प्रशासन पर झुठे छेड़खानी के आरोप लगाने लगी , जिसके बाद पुलिस / प्रशासन में भी महिलाओ द्वारा किए जा रहे #FakeCases से डर रहने लगा है । चाहे कश्मीर में पत्थर बाज़ी हो या कोई धरना प्रदर्शन , सब जगह महिलाओं को आगे किया जाने लगा । प्रशासन पुलिस आर्मी सब नारीवादी सोच द्वारा बनवाए #GenderBiasedLaws से डरते नजर आते है ।
ये पहली बार नहीं है , ऐसा कई बार हुआ जब इन नारीवादी लोगों ने देश के प्रतिष्ठा व देश के नामी-गिरामी लोगों को बदनाम करने की साजिश , कोशिश करी है । इन्होंने एक आंदोलन चालू किया #MeTooIndia जिसके झंडे के नीचे देश के नामी-गिरामी प्रतिष्ठित पुरुषों को बदनाम करने की साजिश रची गई । 10 से 20 साल तक पुरानी कहानियों को सोशल मीडिया में प्रकाशित किया गया। सोशल मीडिया न्यायालय बन गई । लगभग हर न्यूज़ चैनल राष्ट्रीय अखबारों में #MeTooIndia सुर्खियां बटोरने लगा। लोगों के लिए चर्चा का नया विषय था और दूसरी तरफ नजरअंदाज किए जाने वाले पुरुषों के लिए शर्मिंदगी । ये भी नारीवादी महामारी का लक्ष्ण है , अपना नाम करने के लिए, नकारात्मक विपणन , सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए इन्होंने कई प्रतिष्ठित पुरुषों जिन्होंने बड़ी मेहनत ये मौकाम हासिल किया व नाम कमाया , उनका नाम खराब करने की नापाक़ कोशिश करी । ये समझना जरुरी है मर्द को भी दर्द होता है ।
एक टाइम्स नाउ 08/03/2020 में प्रकशित न्यूज़ के अनुसार एक महिला से टैक्सी का भाड़ा मांगने पर , उसने बहस की और अपने कपडे उतार दिय , टैक्सी ड्राइवर द्वारा पुलिस बुलाए जाने पर । महिला कांस्टेबल के साथ उस महिला ने भी मारपीट करी व उन्हें दाँतो से काटा ।
इसी प्रकार सन 2017 में एक वीडियो वायरल हुआ जिसमे महिला ने रोड पैर सरेआम एक देश के रक्षक पर थपड बरसाए ।
नारीवादी एक ऐसा ढोंग है जिसका #GenderEquality से कोई लेना देना नहीं । ये सिर्फ #Misandry से बीमार और पुरुष विरोधी नसल है । नारीवादी एक ऐसी महामारी है , जो धीरे-धीरे देश की सभ्यता को नष्ट करती जा रही है । यह कहना गलत नहीं होगा
फिर एक दौर चालू हुआ जिसमे महिलाओ को हर जगह आगे व प्रोत्साहित किया जाने लगा यह देश के लिए जरूरी भी था । मगर यहां पर भी #Feminism ने अपने जहर को कम नहीं किया । बल्कि एक #Corona महामारी के समान , केवल समाज की बुनियाद को हिलाने का काम किया । पश्चिमी संस्कृति की नकल करते हुए , हिंदुस्तानी महिलाओं ने भी उनके परिधानों को यहां पहनना चालू कर दिया । यह बोलना गलत नहीं होगा , हिंदुस्तानी सभ्यता का पतन होना चालू हो गया । एकाएक जिन हिन्दुस्तानी महिलाओ के लिए अपनी इज्जत अपनी आबरू , अपने शरीर को ढकने वाले परिधान , अपना शरीर सब कुछ हुआ करता था । अब #TikTok #Youtube #Facebook #Instagram पर महिलाए पैसे कमाने व लोकप्रियता हासिल करने के लिए अभद्र , नग्न प्रदर्शन करने लगी । ऐसा लगने लगा है जैसे होड़ लगी हो , एक महिला दूसरी महिला से कितना ज्यादा नग्न होकर लोकप्रियता हासिल कर सकती है । एक समय था जब जिस्म की नुमाईश को जिस्मफरोशी वेश्यवृति से जोड़ा जाता था । ऐसा लगता है जैसे इन विदेशी ताकतों ने #Feminism के हाथों हमारे देश की हिंदुस्तानी सभ्यता को तार-तार करने के लिए व इरादतन विदेशी परिधानों को देश में बेचने के लिए , इस नारीवादी रूपी महामारी को देश में फैलाया । जिसके चलते " My body My choice " के नारे के तहत देश में महिलाओं की मानसिकता को प्रदूषित करते हुए , अपने जिस्म की नुमाइश को एक नए पीढ़ी की नारी की पहचान बना दिया गया ।
दूसरी तरफ नारीवादी सोच का झंडा फहराने वाले नेताओं ने एक के बाद एक 45 + महिलाओ के हक में कानून बना दिए । यहां पर भी सोच केवल महिलाओ को शोषण व अत्याचारों से बचाने की थी । जिसका भी नारीवादी लोगों ने गलत फायदा उठाया , यहां पर भी जो लोग बात #GenderEquality की करते थे । जिन्होंने शुरूवात ही इसी नारे के साथ की थी । आज वोह लोग #GenderEquality को नजर अंदाज करने लगे । हर कानून #GenderBiased बनाए गए । यहाँ पर महिलाओ को पुरुषो के बराबर बताने वाले लोग , अब महिलाओं को कमजोर बताने लगे ।
अब महिलाओं द्वारा इन कानूनों का दुरुपयोग होना चालू हो गया। ऐसे बहुत से वाक्यात नजर आने लगे । जहाँ महिलाओं को गलत काम / कानून का उल्लंघन करने से रोका जाता तो वह पुलिस / प्रशासन पर झुठे छेड़खानी के आरोप लगाने लगी , जिसके बाद पुलिस / प्रशासन में भी महिलाओ द्वारा किए जा रहे #FakeCases से डर रहने लगा है । चाहे कश्मीर में पत्थर बाज़ी हो या कोई धरना प्रदर्शन , सब जगह महिलाओं को आगे किया जाने लगा । प्रशासन पुलिस आर्मी सब नारीवादी सोच द्वारा बनवाए #GenderBiasedLaws से डरते नजर आते है ।
ये पहली बार नहीं है , ऐसा कई बार हुआ जब इन नारीवादी लोगों ने देश के प्रतिष्ठा व देश के नामी-गिरामी लोगों को बदनाम करने की साजिश , कोशिश करी है । इन्होंने एक आंदोलन चालू किया #MeTooIndia जिसके झंडे के नीचे देश के नामी-गिरामी प्रतिष्ठित पुरुषों को बदनाम करने की साजिश रची गई । 10 से 20 साल तक पुरानी कहानियों को सोशल मीडिया में प्रकाशित किया गया। सोशल मीडिया न्यायालय बन गई । लगभग हर न्यूज़ चैनल राष्ट्रीय अखबारों में #MeTooIndia सुर्खियां बटोरने लगा। लोगों के लिए चर्चा का नया विषय था और दूसरी तरफ नजरअंदाज किए जाने वाले पुरुषों के लिए शर्मिंदगी । ये भी नारीवादी महामारी का लक्ष्ण है , अपना नाम करने के लिए, नकारात्मक विपणन , सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए इन्होंने कई प्रतिष्ठित पुरुषों जिन्होंने बड़ी मेहनत ये मौकाम हासिल किया व नाम कमाया , उनका नाम खराब करने की नापाक़ कोशिश करी । ये समझना जरुरी है मर्द को भी दर्द होता है ।
एक टाइम्स नाउ 08/03/2020 में प्रकशित न्यूज़ के अनुसार एक महिला से टैक्सी का भाड़ा मांगने पर , उसने बहस की और अपने कपडे उतार दिय , टैक्सी ड्राइवर द्वारा पुलिस बुलाए जाने पर । महिला कांस्टेबल के साथ उस महिला ने भी मारपीट करी व उन्हें दाँतो से काटा ।
इसी प्रकार सन 2017 में एक वीडियो वायरल हुआ जिसमे महिला ने रोड पैर सरेआम एक देश के रक्षक पर थपड बरसाए ।
नारीवादी एक ऐसा ढोंग है जिसका #GenderEquality से कोई लेना देना नहीं । ये सिर्फ #Misandry से बीमार और पुरुष विरोधी नसल है । नारीवादी एक ऐसी महामारी है , जो धीरे-धीरे देश की सभ्यता को नष्ट करती जा रही है । यह कहना गलत नहीं होगा
#FeminismIsCoronaVirus
#StopAbuseMen a movement intends to work for Men's welfare and strongly believe in replacing the word Men/Women by Person and Husband/Wife by Spouse in any Government law or policy. #MenToo are Human, they also have Constitutional Right to Live & Liberty with Dignity (#Article21 ) . #Unfairlaw or Policy can not bring Fairness in any Society, it only kills fairness in Justice System and harmony in Society. #SpeakUpMan. Help Line for abused/distressed Men ( SIF - One): +91-8882498498.
Very true
ReplyDeleteFeminism is spreading because Purushottam decreasing in MEN
ReplyDeleteIt is not that western culture taking place even past time western people ruled here but our Man are solid enough to save their wife culture and dignity of their family and them.
For me only weekness of this Morden Man spreading feminism nothing else.
weakness in what terms
DeleteWe want men's rights commission
ReplyDeleteNice one
ReplyDeleteVery well penned down wat feminism all abt👌👌👌🙏🙏👍👍
ReplyDeleteExtremely true...
ReplyDeleteLaw must be gender neutral for men and women
ReplyDeleteAbsolutely True
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