Is that Goverment using Men's Hard-earn Money against Men ?

Is that Goverment using Men's Hard-earn Money , against Men ?


क्या सरकार  पुरुषों की गाढ़ी कमाई , पुरुषों के खिलाफ ही प्रयोग कर रही है ?


13 दिसंबर 2019 , दिल्ली  के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया , जिसमें उन्होंने स्कूल व कॉलेज के लड़कों से महिलाओं से दुर-व्यवहार ना करने की शपथ दिलवाने की बात कही । 
जिसके बाद दिल्ली की सड़कों पर करोड़ों रुपए के विज्ञापन प्रकाशित किए  गए , व साथ ही साथ लगभग हर रेडियो चैनल के माध्यम से मुख्यमंत्री जी का संदेश प्रकाशित किया गया । रेडियो चैनल पर दिए विज्ञापन मेँ सीधे तौर पर पुरुषों को रेपिस्ट / छेड़ छाड़  करने वाला  दर्शाने की कोशिश करी गई । यहां तक पुरुषों को हिदायत तक दे दी गई , अगर कोई पुरुष महिलाओं से दुर-व्यवहार करते हुए पाया जाए तो , उनके अभिवावक  उन्हें  घर में घुसने तक ना दे व उनसे सारे सम्बन्ध तोड़ दे । कुछ सरकारी शोध इस प्रकार है :-
  • 2007, Ministry of Women and Child Welfare व United Nations Children's Fund, save the children and Prayas  द्वारा एक अध्ययन के अनुसार , 53.22% यौन शोषण का शिकार होने वाले बच्चों में से 52.94%  लड़के  व 47.06% लड़कियाँ  पाई गई थी । इस  अध्ययन से  सीधे तौर पर यह पता चला , लड़कियों की तुलना में लड़कों का यौन शोषण उनसे ज्यादा होता  है  । ऐसे सरकारी अध्ययनों के बाद ये कहना गलत होगा कि केवल  महिलाएं /  लड़कियाँ  ही यौन शोषण  का शिकार होती हैं। 

हम मानते हैं , महिलाओं का किसी भी प्रकार का उत्पीड़न एक अपराध है । वही इस बात से भी मुंह नहीं फेरा जा सकता कि पुरुषों के साथ भी कई तरह से उत्पीड़न होते  है। जिसको समझना सरकार का दायित्व है । रेप जैसा घिनौना अपराध , पुरुषों के साथ भी होता है । मगर सरकार उस पर नजर नहीं डालना चाहती । याद होगा एक मूवी आई थी एतराज , इसके साथ - साथ  कई बॉलीवुड , हॉलीवुड मूवी , हिन्दी धारावाहिक  में भी पुरुषों पर हो रहे यौन उत्पीड़न , अत्याचारों को बखूबी दर्शाया गया । जैसा कि देखने में आया है देश में बदले या फिरौती के लिए महिलाएं इतने पुरुषों पर झूठे मुकदमे  दायर कर रही हैं , जिसके कारण अनेक पुरुष आत्महत्या तक करने के लिए विवश  हो जाते  हैं । इन #FakeCases के कारण पुरुषो  व उनके परिवारों को मानसिक, आर्थिक रूप के संकटों का सामना तक करना पड़ता है। 

उपरोक्त दिए सरकारी आंकड़ों के बावजूद दिल्ली सरकार द्वारा , इस तरह के लिंग भेदी विज्ञापन केवल महिला वोट बैंक को लुभाने के लिए ,  सरकारी पैसे का दुरुपयोग कहा जाना गलत नहीं होगा ।


इसी प्रकार #Misandry  का उत्तम परिचय देते हुए  । सरकारी तन्त्र की नाक के नीचे पिंक लाइन दिल्ली  मेट्रो में Heads_up_for_tails द्वारा कुछ विज्ञापन प्रकाशित किए गए जिसमें सीधे तौर पर लड़को / पुरुषों की तुलना कुत्तों रूपी कार्टून से करते हुए प्रकाशित किए गए । यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकारें पुरुषों के लिए बहुत ही संवेदनहीन है ।

ऐसे कई विज्ञापन मेट्रो में प्रकाशित करें गए जिसमें केवल और केवल पुरुषों को ही दोषी दर्शाया गया है , आमतौर पर  मेट्रो की जमीन पर महिला / पुरुष दोनों बैठते हैं , मगर विज्ञापनों में केवल पुरुषों को ही शर्मसार किया गया ।
आमतौर पर देखा गया है महिलाएं भी कई बार जरूरतमंद लोगों को नजरअंदाज करती हैं व अपनी सीट जरूरतमंद लोगो को आमंत्रित नहीं करती  मगर  दिल्ली मेट्रो में ऐसे कई विज्ञापन लगाए गए । जिसमें पुरुषों को कुत्ता रूपी कार्टून दर्शाते हुए , उनको सुझाव दिया गया कि उन्हें जरूरतमंद लोगों को अपनी सीट देनी चाहिए ।

आमतौर पर देखा जाता है महिला / पुरुष  अपने साथ
बैठे पड़ोसियों के फोन में ताक झाक  करतेहैं । मगर 
दिल्ली मेट्रो मैं लगे विज्ञापन इस बार भी पुरुषों को 
कठघरे में खड़े करते हुए , पुरुषों को कुत्ता रूपी कार्टून 
के माध्यम से  हिदायत देते हुए पाए गए।
टि्वटर पर पुरुषों के अधिकार के लिए लड़ने वाले MRA संग़ठन  द्वारा देशव्यापी  विरोध दर्ज कराते हुए अनेकों  ट्वीट किए गए  ।


ऐसा  पहली  बार  नहीं  हुआ , जब  पुरुषों  को  जानवरों , भक्षक , बलात्कारी , छेड़ छाड़ करने वालो  के रूप में ना दर्शाया गया हो । इसी प्रकार एक और विज्ञापन खुद दिल्ली मेट्रो द्वारा  प्रकाशित किया गया । जिसमें  भी सभी पुरुषों यात्रियों को एक बार फिर बलात्कारी व  छेड़ छाड़ करने वाला दर्शाया गया ।

शायद दिल्ली मेट्रो अपने भूतपूर्व  संचालक Elattuvalapil Sreedharan को भूल  गए , वोह भी एक पुरुष है । महिलाओं द्वारा बलात्कार और छेड़छाड़ का शिकार पुरुष  भी होते हैं । यह कहना गलत नहीं होगा अपराधी को लिंग से संबोधित नहीं किया जाना चाहिए  #CrimeHasNoGender  । दिल्ली मेट्रो के सभी पुरुष यात्रियों व बलात्कारी और छेड़छाड़ करने वालों अपराधियों को  एक ही तराज़ू में तोले जाने से , सोशल मीडिया पर खासी  नाराजगी देखने को मिली ।

दिल्ली मेट्रो में जेब कतरों की संख्या सबसे ज्यादा 94% महिलाओं की है । इस सनसनीखेज रिपोर्ट के बावजूद दिल्ली मेट्रो ने अपने यात्रियों को ऐसी महिलाओं से सचेत नहीं किया । यह एक #Misandry है  जो  सिर्फ पुरुषों को कटघरे में खड़ा करना चाहती है ।

दिल्ली मेट्रो में सफर करने वालों में सबसे बड़ी संख्या पुरुषों की है , यानी ये कहना गलत नहीं होगा  दिल्ली मेट्रो की आय का सबसे बड़ा स्रोत पुरुष की गाड़ी मेहनत की कमाई है । इसके बावजूद पुरुषों को बलात्कारी , छेड़छाड़ दर्शाने वाले #MenBashing  विज्ञापन ना केवल सरकारी पैसों का दुरूपयोग दर्शाते  है बल्कि ये सरकार की लिंगभेदी राजनीति को भी  दर्शाते  है  ।

22 जनवरी 2015 , भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का शिलान्यास किया गया ।  यह योजना लड़कियों के स्वास्थ , कन्या भ्रूण हत्या , शिक्षा  जैसे जरुरी  मुद्दों के लिए कारगर योजना साबित हुई 

 यहाँ  पर भी लिंगभेदी राजनीति का पर्चम शीर्ष पर लहराता नज़र आया । यहां पर भी लड़को / बेटो को दरकिनार कर दिया गया ।


  • ऊपरोक्त शोध के अनुसार , 18 साल से कम उम्र के लड़को की बाल श्रम / मज़दूरी  की संख्या , लड़कियों की तुलना में 4 गुना ज्यादा  है । ये अनुमान लगाना भी गलत नहीं होगा  ,  जानलेवा बाल मजदूरी के कारण  लड़को का शोषण  लड़कियों से 4 गुना ज्यादा हो रहा  है  ।  लड़को के  लिए भी शिक्षा ,  अच्छा स्वास्थ्य उतना  ही जरुरी है जितना  लड़कियों के लिए  । 
  • Ministry of Human Resource Development के 22 मार्च 2018 प्रेस रिलीज मैं बताया गया ,  UDISE 2015-16 के शोध के अनुसार  लड़कियों का वार्षिक Gross enrolment ratio ( शैक्षिक संस्थानों में दाखिले का अनुपात )  लड़कों से ज्यादा है । वहीं दूसरी तरफ लड़कों की वार्षिक औसतन Drop Out Rate ( शैक्षिक संस्थानों शिक्षा को बीच में छोड़ने का अनुपात ) लड़कियों से ज्यादा है ।

बजट 2020 , वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा 28,600 करोड़ रूपए विशिष्ट महिला कार्यक्रम के लिए आवंटन किए गए।
Quint 23 जनवरी 2019 में प्रकाशित खबर  के अनुसार यह भी पता चला , सरकार  विशिष्ट महिला कार्यक्रम के लिए आवंटित रुपयों का 56%  प्रचार में खर्च कर देती है ।

उपरोक्त सरकारी शोध व खबरों से इस निष्कर्ष  पर आना  गलत नहीं होगा , कि  सरकारे  पुरुषों व लडको के ऊपर  हो रहे अत्याचारों , शोषण व उनसे जुड़े मुद्दों जैसे शिक्षा , बाल मजदूरी , स्वास्थ्य के लिए संवेदनहीन है ।

देश में सबसे ज्यादा आयकर भरने वाले पुरुष हैं । देश की जीडीपी में सबसे बड़ा योगदान पुरुषों का है । गटर सफाई से लेकर  देश की रक्षा में तैनात जल , थल , वायु सेना , सब में सबसे बड़ी संख्या पुरुषों की है ।

यह कहना गलत नहीं होगा  , पुरुषों द्वारा खून पसीने से कमाए पैसों से चलने वाली सरकार के पास एक रुपया भी पुरुषों के कल्याण के लिए नहीं है । सरकारें पुरुषों कि गाढ़ी कमाई पुरुषों के खिलाफ , पुरुषो को बदनाम करने के लिए प्रयोग कर रही है ।

आपको ये जानकर भी आश्चर्य होगा , इस देश में जानवरो ,  पेड़ पौधो , महिलाओ  तक के पास आयोग है  , मगर इस देश की तरक्की व मुसीबत में अपनी  जान तक देने वाले पुरुषों के पास एक आयोग तक नहीं है ।

हम देश के सब पुरुषो की तरफ से विभिन्न सरकारों द्वारा किए जा रहे #MenBashingAdvertisement का पुरजोर विरोध करते है  व सरकारों से पुरुष कल्याण व उनसे जुड़े मुद्दों के हल के लिए  पुरुष आयोग बनाने  की माँग करते है । हमें ऐसे समाज का गठन करना चाहिए जिसमे स्त्री - पुरुषो को बराबरी के अधिकार मिले व सरकारी योजनाओ का सभी को समान लाभ मिले ।

Comments

  1. bahut acha article hain, thanks for sharing

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  2. Absolutely correct. Men need to unite and vote for Men's rights.

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