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Showing posts from October, 2022

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती स्वाति मालीवाल और झूठे मुकदमों की मार्केटिंग करने का उनका इतिहास

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ये जानना बहुत जरुरी है, किस प्रकार #Feminism नारीवादी सोच हमारी सभ्यता और समाज को एक महामारी से भी ज्यादा नुकसान पहुँचा रही है ।  हमने इससे पहले इस विषय पर प्रकाश डालने की कोशिश करी थी ।  What is #Feminism  ? How they spread Pandemic in the society like #CoronaVirus हिंदुस्तान का संविधान,  जो देश के हर नागरिक के मौलिक अधिकारों को प्रदान करने की वचनबद्धता के लिए जाना जाता है । 31 जनवरी 1992 को महिला आयोग का गठन हुआ था । ये कहना गलत नहीं होगा , संविधान को नजरअंदाज करते हुए व पक्षपात करते हुए। केवल महिला आयोग का गठन किया गया पुरुष आयोग का नहीं । एक तरह से ये कहना गलत नहीं होगा महिला आयोग की बुनियाद ही पक्षपात पर खड़ी हुई । महिला आयोग का गठन महिलाओं के सशक्तिकरण व उनसे जुड़े मुद्दों को उठाने व उसके समाधान के लिए किया गया था । लगभग देश के 29 राज्य व 7 केंद्र शासित प्रदेश है में महिला आयोग स्थापित है । बजट 2020 , वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा 28,600 करोड़ रूपए, विशिष्ट महिला कार्यक्रम के लिए आवंटन किए गए है । ...

Demand for Impeachment against Justice Chanderchud got viral on social media with hashtag #ImpeachmentAgainstChandrachud

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  जब टवीटर पर आगामी #CJI के खिलाफ़ #ImpeachmentAgainstChandrachud ट्रेंड करने लगा 2 अक्टूबर 2022, जिस दिन को विश्व गांधी जयंती के रुप में मनाता आया है। उस दिन एका एक #ImpeachmentAgainstChandrachud व #Chandrachud  टवीटर पर ट्रेंड करने लगा । हजारों लाखों लोगो ने भारत के आगामी मुख्य न्यायधीश श्री धनञ्जय यशवंत चंद्रचूड़ के खिलाफ़ महाभियोग की मांग को पुरजोर टवीटर पर उठाया । ग़ौरतलब है, आप हार्वर्ड विश्वविद्यालय से एल ० एल ० एम ० की उपाधि व जुडीशियल साइंस में डॉक्टरेट प्राप्त है और 9 नवंबर 2022 से न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित के उत्थान के बाद 10 नवंबर 2024 को अपनी सेवानिवृत्ति तक भारत के मुख्य न्यायाधीश बनेंंगे । करोड़ों लोगो की नाराज़गी का कारण था 2018 में सेक्शन 497 के कानून को रद किया जाना । 2018 में जब उच्च न्यायलय के समक्ष पत्नी को दूसरे पुरुष के साथ सम्बन्ध बनाने , के जुर्म में सजा दिलाने के लिए याचिकाकर्ता पति पंहुचा।  न्यायलय ने पत्नी को सजा देने की बजाए धारा 497 को ही खारिज कर दिया। इससे पता चलता है, हिन्दुस्तान की न्यायलय किस प्रकार से महिलाओ को सजा देने से बचत...