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महिला वोट बैंक लुभाते नए कानून, पुरुषों के साथ एक बार फिर पक्षपात

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दिसंबर 2023, सत्ता में बैठी सरकार ने आज तीन कानून को पारित कर दिया। जो कथित रूप से अंग्रेजों के जमाने के कानून की जगह लेंगे। भारतीय संविधान के आर्टिकल 14-15 व 21, साफ तौर पर किसी भी व्यक्ति के लिंग, जात, धर्म, भाषा पहनावे इत्यादि या किसी भी तरीके के भेदभाव पर लगाम लगाते है। संविधान के अनुसार कोई भी सरकार न्यायलय किसी के भी साथ भेदभाव नही कर सकते।  ये कहना गलत नही है, भारत में कई दशकों से भेदभाव की राजनीति जड़ कर गई है। हर राजनीतिक पार्टी अपने वोट बैंक को लुभाने के लिए दूसरों के साथ भेदभाव या बोले तो संविधान को ताक पर रखकर पक्षपात की राजनीति करते आए हैं । कही गरीब पुरुषों को नजर अंदाज करते हुए मुफ्त महिलाओ को मुफ्त बस सफर कराया जा रहा है। तो कही पारिवारिक जिमेदारी के चलते,सबसे ज्यादा बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले छोटे बालको को नजरअंदाज करते हुए लड़कियों को मुफ्त लैपटॉप और मोबाइल बांटे जाते हैं। सबसे ज्यादा प्रोस्टेट कैंसर से मरने वाले पुरुषों की जगह, महिलाओ के स्तन कैंसर के लिए करोड़ों का बजट व विज्ञापन दिया जाते ह। देश में जानवरों पेड़ पौधों के लिए तक कई आयोग है, मगर पुरुष आयोग नही। पुरुष